Wednesday, January 6, 2010

बात तो अब निकल ही चुकी है

सपा के पूर्व महासचिव (पूर्व इसलिए की अब जनाब ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है , जिसको मुलायम सिंह स्वीकार कर लेगे ) पार्टी में आपसी खीचा तान तो सालो से चली आ रही है , जबकि ६ जनवरी को यह आम जनता के सामने आ ही गयी जनाब अमर सिंह लाख अपनी बिगड़ते स्वास्थ को इसका कारण बताये जबकि सच्चाई तो यह है, कि अमर की उपयोगिता पर परिवार भारी पड़ गया विधान सभा तथा लोक सभा के उप चुनाव में धरती के बल गिरने और उसके पहले ही पार्टी की जड़ से जुड़े दिग्गज नेताओ का दूर होने पर एक सार्थक बदलाव की उम्मीद तो जरुर थी , लेकिन ऐसा नहीं की बदलाव करने वाले को ही बदल दिया जाये मुलायम के भाई राम गोपाल को शायद अमर सिंह की प्रसिद्धि पाचन नहीं हो रही थी उधर बेचारे अमर करे तो क्या करे स्वाभाव से तो वह शुद्ध व्यापारी है और जिद से राजनेता और व्यापारी का उद्देश्य तो सिर्फ लाभ कमाना होता है , तो शायद उसी लाभ के लिए वह सिर्फ पड़ छोड़ दिए भले ही वह लाभ स्वास्थ-लाभ है अमर जी अपने इस्तीफे के बाद पत्रकारों को बताया कि वे अब सिर्फ एक कार्यकर्ता है तथा आज से जैसा राम गोपाल जी आदेश करेगे वह उनके आदेशो का पालन करेगे अमर और राम के दिल में एक दुसरे के प्रति नफरत कि कितनी मात्राहै , यह तो उनका दिल ही जाने .पर उनके शब्दों का भावार्थ तो प्रेम का परिवर्तित रूप ही दीखता है जो कम हो तो घातक और ज्यादा हो तो ...........................आप समझ सकते है ............

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